July 23, 2024

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Full Revision रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

कक्षा – १०वीं  विज्ञान (10th  Class Science )

अध्याय – 1

रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण (Chemical Reaction and Equations)

Textbook NCERT
Class Class 10
Subject विज्ञान Science
Chapter Chapter 1
Chapter Name रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण
Category Class 10 Science Notes in Hindi
Medium Hindi

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रासायनिक अभिक्रिया एवं समीकरण notes, Class 10 science chapter 1 notes in Hindi. जिसमे हम रासायनिक अभिक्रिया , रासायनिक समीकरण , रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार , संयोजन अभिक्रिया , वियोजन अभिक्रिया , विस्थापन अभिक्रिया , ऊष्माक्षेपी तथा ऊष्माशोषी , ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रिया एवं विक्रतगंधिता आदि के बारे में पढेंगे ।


रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

 रासायनिक अभिक्रिया :

ऐसे परिवर्तन जिसमें नए गुणों वाले पदार्थों का निर्माण होता है , उसे रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं ।

 उदाहरण :

भोजन का पाचन , श्वसन , लोहे पर जंग लगना , मैग्नीशियम रिब्बन का जलना , दही का बनना आदि ।

 रासायनिक अभिक्रिया की पहचान :-

इन कारकों से पता चलता है कि एक रासायनिक अभिक्रिया हुई है :-

  • पदार्थ की स्थिति / अवस्था में परिवर्तन ,
  • पदार्थ का रंग बदलना ,
  • गर्मी का उत्सर्जन
  • गर्मी का अवशोषण ,
  • गैस का उत्सर्जन
  • प्रकाश का उत्सर्जन

 अभिकारक :

ऐसे पदार्थ जो किसी रासायनिक अभिक्रिया में हिस्सा लेते हैं उन्हें अभिकारक कहते हैं ।

 उत्पाद :

ऐसे पदार्थ जिनका निर्माण रासायनिक अभिक्रिया में होता है , उन्हें उत्पाद कहते हैं ।

रासायनिक समीकरण :-

किसी रासायनिक अभिक्रिया का उसमें भाग लेने वाले पदार्थों ( क्रियाकारक एवं उत्पाद ) के प्रतीकों तथा सूत्रों के माध्यम से संक्षिप्त प्रदर्शन रासायनिक समीकरण कहलाता है ।

रासायनिक अभिक्रिया , रासायनिक समीकरण द्वारा निरूपित की जाती हैं ।

रासायनिक समीकरण में तत्वों के प्रतीक या अभिकारक और उत्पादों के रासायनिक सूत्र उनकी भौतिक अवस्था के साथ लिखे जाते हैं ।

रासायनिक अभिक्रिया में आवश्यक परिस्थितियाँ जैसे :- ताप , दाब , उत्प्रेरक आदि को तीर के निशान के ऊपर या नीचे दर्शाया जाता है ।

 सन्तुलित रासायनिक समीकरण :-

ऐसी रासायनिक समीकरण जिसके दोनों पक्षों ( बायीं तथा दायीं ओर ) में प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या बराबर होती है , सन्तुलित रासायनिक समीकरण कहलाती है ।

संतुलित रासायनिक समीकरण का महत्व :-

द्रव्यमान संरक्षण का नियम :- किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो निर्माण होता है न ही विनाश ।

रासयनिक अभिक्रिया के पहले ( अभिकारक ) एवं उसके पश्चात ( उत्पाद ) प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान होनी चाहिए ।

रासायनिक समीकरणों को चरणबद्ध संतुलित करना ( हिट एंड ट्रायल विधि )  :-

चरण 1 :- 

  • रासायनिक समीकरण लिखकर , प्रत्येक सूत्र के चारों ओर बॉक्स बना लीजिए ।

Fe + HO → FeO + H

  • संतुलित करते समय बॉक्स के अन्दर कुछ भी परिवर्तन नहीं कीजिए ।

चरण 2 :-

समीकरण में उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की संख्या नोट कीजिए ।

तत्त्व अभिकारकों में परमाणु की संख्या ( LHS ) उत्पाद में परमाणुओं की संख्या ( RHS )
Fe 1 3
H 2 2
O 1 4

 

चरण 3 :- 

सबसे अधिक परमाणु वाले तत्व को अभिकारक या उत्पाद की साइड अनुचित गुणांक लगाकर संतुलित कीजिए ।

Fe +4 HO  FeO + 4 H

चरण 4 :- 

सभी तत्वों के परमाणुओं को चरण 3 की भांति संतुलित कीजिए ।

3 Fe + 4 HO → FeO + 4 H

सभी तत्वों के परमाणुओं की संख्या अभिक्रिया के दोनों ओर समान है ।

चरण 5 :- 

अभिकारकों एवं उत्पादों की भौतिक अवस्था लिखना :-

  • ठोस :- ( s )
  • द्रव :- ( l )
  • गैसीय अवस्था :- ( g )
  • जलीय विलयन :- ( aq )

3Fe ( s ) + 4HO( g ) → FeO + 4H( g )

चरण 6 :- 

कुछ आवश्यक परिस्थितियाँ जैसे :- ताप , दाब या उत्प्रेरक आदि को भी तीर के निशान के ऊपर या नीचे लिखें ।

समीकरण में दोनों ओर के तत्वों के परमाणुओं की संख्या बराबर है । अतः यह समीकरण अब संतुलित है ।

रासायनिक समीकरणों को संतुलित करने की इस विधि को हिट एंड ट्रायल विधि कहते हैं क्योंकि सबसे छोटी पूर्णांक संख्या के गुणांक का उपयोग करके समीकरण को संतुलित करने का प्रयत्न करते हैं ।

रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार :-

  1. संयोजन अभिक्रिया:

वह रासायनिक अभिक्रिया , जिसमें दो या दो से अधिक पदार्थ ( तत्व या यौगिक ) संयोग करके एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं , संयोजन अभिक्रिया कहलाती है ।  इन अभिक्रियाओं में कोई भी सह – उत्पाद नहीं बनता है ।

 उदाहरण :-

  • कोयले का दहन :- C( s ) +0₂( g ) → CO₂( g)
  • जल का निर्माण :- 2H₂( g ) +0₂( g ) + 2H₂0 ( l )
  • ( बिना बुझा चूना ) CaO( s ) + H₂O ( l )   → Ca(OH₂) , ( aq ) ( बुझा हुआ चूना )

ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया :-

जिन अभिक्रियाओं में उत्पाद के निर्माण के साथ – साथ ऊष्मा का भी उत्सर्जन होती है उसे ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं ।

उदहारण :-

  • प्राकृतिक गैस का दहन :- CH₄( g ) +0₂( g ) → CO₂( g ) + 2H₂O( g ) + ऊष्मा
  • श्वसन एक उष्माक्षेपी अभिक्रिया है :- C₆H₁₂0₆( aq ) + 60₂( g ) → 6C0₂( aq ) + 6H₂0 + ऊष्मा
  1. वियोजन (अपघटन) अभिक्रियाएँ:

वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें एकल अभिकारक टूट कर दो या उससे अधिक उत्पाद बनते हैं वियोजन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं ।

वियोजन अभिक्रियाएँ निम्न तीन प्रकार की होती हैं :-

  • ऊष्मीय वियोजन :- ऊष्मा द्वारा किया गया वियोजन ।
  • वैद्युत वियोजन :- विद्युत धारा प्रवाहित कर होने वाला वियोजन ।
  • प्रकाशीय वियोजन :- सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होने वाला वियोजन ।

उष्माशोषी अभिक्रिया :- 

जिन अभिक्रियाओं में अभिकारकों को तोड़ने के लिए ऊष्मा , प्रकाश या विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है उसे उष्माशोषी अभिक्रिया कहते हैं ।

  1. विस्थापन अभिक्रिया:

इन अभिक्रियाओं में अधिक क्रियाशील तत्व कम क्रियाशील तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है ।

उदहारण :- लोहे की कील पर भूरे रंग की कॉपर की परत जमना :-

Fe(s)+CuSO₄(aq) → FeSO₄(aq)+Cu(s)

लोहे की कील पर भूरे रंग की कॉपर की परत जम गई । Cuso4 के नीले विलयन का रंग हरा Feso₄ के निर्माण के कारण हो गया ।

Zn + Cuso₄ → ZnSO₄ + Cu

  • जिंक कॉपर से अधिक क्रियाशील तत्व हैं ।
  1. द्विविस्थापन अभिक्रिया:

इस अभिक्रिया में उत्पादों का निर्माण , दो यौगिकों के बीच आयनों के आदान प्रदान से होता है ।

Na₂SO₂ (aq) (सोडियम सल्फेट) + BaCl₂ ( aq )  ( बेरियम क्लोराइड ) →

BaSO₄(s)  (बेरियम सलफेट) + 2Nacl (सोडियम क्लोराइड)

बेरियम सल्फेट ( Baso₄ ) के सफेद अविलेय अवक्षेप का निर्माण होता है । इसीलिए इस अभिक्रिया को अवक्षेपण अभिक्रिया भी कहते हैं ।

  1. उपचयन एवं अपचयन :

उपचयन :- 

किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि अथवा हाइड्रोजन का ह्रास होता है अथवा दोनों हो तो इसे उपचयन कहते हैं ।

उदहारण :-

  •  C + 0₂→ CO₂
  • 2Cu + 0₂→CuO

अपचयन :- 

किसी पदार्थ में आक्सीजन का ह्रास अथवा हाइड्रोजन की वृद्धि होती हो तो इसे अपचयन कहते हैं ।

रेडॉक्स :-

जिस अभिक्रिया में उउपचयन तथा उपचयन दोनों हो रहे है , इसे रेडॉक्स अभिक्रिया कहते हैं ।

दैनिक जीवन में उपचयन अभिक्रियाओं का प्रभाव :-

संक्षारण :-

जब कोई धातु , ऑक्सीजन आर्द्रता , अम्ल आदि के सम्पर्क में आती है , जिससे धातु की उपरी पर्त कमजोर सक्षारित हो जाता है इसे संक्षारण कहते हैं ।

उदाहरण :- लोहे की वस्तुओं पर जंग लगना , चाँदी के ऊपर काली पर्त व ताँबे के ऊपर हरी पर्त चढ़ना संक्षारण के उदाहरण हैं ।

संक्षारण से बचाव के उपाय :-

यशदलेपन , विद्युत लेपन और पेन्ट करके संक्षारण से धातुओं को बचाया जा सकता है ।

विकृतगंधिता :- 

वसायुक्त और तैलीय खाद्यसामग्री , वायु के सम्पर्क में आने पर उपचयित हो जाते हैं जिससे उनके स्वाद और गंध में परिवर्तन हो जाता है इसे विकृतगंधिता कहते हैं ।

विकृतगंधिता रोकने के उपाय :-

  • प्रति ऑक्सीकारक का उपयोग करके
  • वायुरोधी बर्तन में खाद्य सामग्री रखकर
  • वायु के स्थान पर नाइट्रोजन गैस द्वारा
  • शीतलन द्वारा

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